रोहिणी नक्षत्र में जन्मे नंदलाला श्री कृष्ण

कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष लेख 06-07 सितम्बर 2023 मध्य रात्रि भारतीय पचांग के अनुसार 6 सितम्बर को जन्माष्टमी लग चुकी है  इसलिए गृहस्थ लोग एवं भक्तजन 6 सितम्बर को  तथा वैष्णव महात्मा गण एवं बैरागी गण उदया तिथि को मानते हुये 7 सितम्बर 2023 श्री कृष्ण जन्मोत्सव  मना रहे हैं भगवान श्रीकृष्ण के मुख्य तीर्थ मथुरा वृन्दावन, द्वारिका एवं जगन्नाथपुरी इन स्थानों पर जन्माष्टमी का त्यौहार 7 सितम्बर 2023 को ही मनाया जा रहा है। भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय मुख्य रूप से भादो मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तथा सूर्यदेव को सिंह राशि में एवं चन्द्र देव को वृष राशि में होना चाहिए तभी जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम। देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम॥ यह मंत्र अपने आप में कृष्ण का पूरा परिचय देता है, कृष्ण वासुदेव के पुत्र है, महादुष्ट कंश एवं चाणूर को मारने वाले देवकी माता को आनन्द देने वाले हम सबके जगत के गुरू है उनको कोटिश नमन एवं अपने से जोड़े रखें। अयोध्या/लखनऊ 06 सितम्बर 2023ः- भगवान श्रीकृष्ण के नाम का अर्थ आकर्षण है इसलिए कर्षति परमहंसानाम इति कृष्ण...

28 साल बाद,आने वाली 23 तारीख से वक्री होने जा रहे हैं शनिदेव,जानिए आपकी राशि और देश- दुनिया पर क्या पड़ेगा प्रभाव

SAURABH SINGH KATIYAR


28 साल बाद श्री शनिदेव अपनी ही मकर राशि में वक्री होने जा रहे है।इस संबंध में राजनीतिक ब्यूरो डॉट कॉम ने ज्योतिष गुरु एसएस नागपाल से वार्ता की, इनके मुताबिक जब शनि मकर में गोचर करते हैं तो इसके बहुत विचित्र परिवर्तन होते है।

क्योंकि श्री शनिदेव को ज्योतिष में कर्मफल दाता एवं दंडाधिकारी न्यायाधीश भी कहा जाता है। गुरुजी के अनुसार 12 राशियों पर इस परिवर्तन का निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकता है



12 राशियों पर शनि का प्रभाव


मेष राशि 

दशम भाव जिसे कर्म भाव भी कहा जाता है इसमें शनि वक्री होने से आजीविका के लिए भागदौड़ करनी पड़ सकती है। कर्म करते रहने से फल मिलता है।* 


वृष राशि 

भाग्य भाव में शनि वक्री हो रहा है।पैसों के लिए थोड़ा परेशानी हो सकती है। धैर्य रखें। संयमित रहे। भाग्य का साथ जरूर मिलेगा।*


मिथुन राशि 

अष्टम भाव में शनि वक्री होंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। और वाहन संभल के चलाएं।*


कर्क राशि

सप्तम भाव में शनि वक्री होंगे दांपत्य जीवन में अनबन से बचना चाहिए। विवाह  तथा साझेदारी  जैसे कामों में रूकावट आए तो घबराए नहीं, अच्छी संभावनाएं तलाश करना चाहिए।आर्थिक पक्ष ठीक नजर आता है।*


सिंह राशि

6 भाव में शनि वक्री होंगे स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। शत्रु  से सतर्क रहे।दौड़ भाग बनी रहेगी।*


कन्या राशि 

पंचम स्थान में शनि वक्री होंगे, संतान और शिक्षा की चिन्ता हो सकती है। आर्थिक पक्ष ठीक नजर आता है।*


तुला राशि

मेहनत  करने पर अवसर मिलेंगे। माता का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है,ध्यान रखें। मानसिक तनाव से बचना चाहिए। यात्रा सोच समझ कर करें। निवेश से बचें अथवा बहुत ही सोच समझ कर करें।*

 

वृश्चिक राशि

तीसरे स्थान पर शनि वक्री होंगे, सेहत और आर्थिक पक्ष ठीक रहना चाहिए।पराक्रम में कमी आए तो समाधान निकालें। क्रोध पर नियंत्रण  रखना चाहिए।*


धनु राशि

दूसरे घर में शनि वक्री होंगे वाणी संभल कर बोले। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। खर्चों में वृद्धि हो सकती है। कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे किसी को आरोप-प्रत्यारोप लगाने का अवसर मिले।*


मकर राशि

मकर राशि में शनि वक्री हो रहे हैं। मानसिक तनाव ना होने दें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वाद-विवाद से बचना चाहिए।*


कुंभ राशि 

व्यर्थ के खर्चों में अधिकता  लाने से दूर रहना चाहिए।व्यर्थ की भागदौड़ करने से बचें।बहुत अधिक आवश्यकता ना होने पर कर्ज लेने से बचने का प्रयास करना चाहिए।*


मीन राशि 

एकादश भाव में शनि वक्री हो रहे हैं।आय के नए स्रोत  मिल सकते हैं।नए अवसर प्राप्त होने की संभावना नजर आती है।*

    

शनि के प्रकोप से बचने के उपाय 

गुरुजी के मुताबिक श्री शनिदेव के प्रकोप से बचने कई उपाय प्रचलन में हैं जिनमें कुछ निम्नलिखित हैं

 

★श्री बजरंगबली हनुमान जी की हनुमान चालीसा का पाठ प्रत्येक दिन करना चाहिए

★श्री शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए भक्तों द्वारा भगवान श्री शिव जी,भगवान श्री कालभैरव जी और श्री हनुमान जी की पूजा और आराधना  भी की जाती है

★ शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिये शनि मंत्रो का विधिवत जाप करने को भी श्रेष्ठ माना गया है

★श्री शनिदेव का व्रत, काले उड़द,काले तिल,सरसों के तेल, काला वस्त्र, काले चने, कोयला, लोहे आदि का दान आदि करके भी लोग शनिदेव की शान्ति होना मानते हैं


शनि देव के वक्री होने का देश-दुनिया में क्या पड़ेगा प्रभाव

शनिदेव को मध्यम वर्ग, मजदूर वर्ग जनता का भी कारक माना जाता है आइए जानते हैं, कि शनिदेव के वक्री होने का देश दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ सकता है

★शनि के वक्री होने से कोरोना के केस तेजी से कम होने की उम्मीद की जा सकती है और ऐसा माना जा सकता है, कि जून तक कोरोना काफी कन्ट्रोल हो जाना चाहिए

★श्री शनिदेव के इस परिवर्तन का प्रभाव यह हो सकता है कि 14 सितम्बर के बाद तीसरी लहर के रूप में नयी बीमारी का सामना करना पड़ सकता है या पुरानी बीमारी आ सकती है,जिसका प्रभाव तीन माह रहने की उम्मीद है

★शनि के वक्री होने से भूकम्प,जैसी आपदाओं में बढ़ोतरी हो सकती है

★कहीं पर आंदोलन आदि भी हो सकते हैं

★ प्रजा  में जनआक्रोश,असंतोष बढ़ने की संभावना होती है

★ पड़ोसी देशो से तनाव होने की संभावना बनती है

★राजनेताओ,अफसरों के पुराने केस खुल सकते हैं


कब से कब तक वक्री रहेंगे शनि देव

ज्योतिषगुरु श्री एस.एस.नागपाल के मुताबिक 23 मई को दोपहर 2.53 बजे मकर राशि में  श्री शनिदेव वक्री हो रहे हैं।  जहां 141 दिन इनको वक्री रहना है।  अभी शनि की साढ़ेसाती धनु मकर व कुंभ राशि  पर चल रही है मिथुन और तुला पर शनि की ढैय्या का प्रभाव है


श्री शनिदेव पुनः मार्गी कब होंगे

न्याय के देवता  के रूप में प्रसिद्ध, श्री शनिदेव मकर राशि में आने वाली 23 तारीख से वक्री होने जा रहे हैं जहां 141 दिन तक  यह  इसी अवस्था में रहेंगे शनि के मकर में गोचर से बहुत विचित्र परिवर्तन होते है इनके बारे में संक्षेप में ऊपर बताने का प्रयास किया गया है शनि अभी 19 डिग्री  पर चन्द्रमा के श्रावण नक्षत्र में है और मंगल की 8 दृष्टि शनि पर है राहु भी चन्द्रमा के रोहणी नक्षत्र  में है चन्द्रमा हमारे मन और भावनाओ का कारक है और पीड़ित है शनि 11 अक्टूबर को  श्रावण  नक्षत्र में 12 डिग्री पर होंगे और पुनः 11 अक्टूबर को प्रात: 7.44 बजे के लगभग मकर राशि में ही मार्गी होंगे**














चेतावनी-यहां दिए गए लेखक के विचार तथा अन्य जानकारियांअनुमान मात्र हैं जिनसे किसी का सहमत या असहमत होना अनिवार्य नहीं है यह जरूरी नहीं है इनमें सटीकता व सत्यता हो क्योंकि प्रत्येक जातक तथा अन्य पर, राशियों का प्रभाव देशकाल, परिस्थितियों, दशा, अंतर्दशा, नक्षत्र, आदि के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकता है इसलिए किसी निर्णय पर पहुंचने के पूर्व, स्व विवेक का प्रयोग करतेहुए इस संबंध में विषय के किसी विशेषज्ञ से जानकारी प्राप्त करना ही श्रेष्ठकर होगा **का तात्पर्य उपरोक्त लेख पूर्ण नहीं है

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                                                                                       इति समाप्ति

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